अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी (Atal Bihari vajpayee Biography In Hindi)

अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी:अटल बिहारी वाजपेई दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री थे वह बहुत ही साधारण थे उनके पिता अध्यापक थे उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 में हुआ था। अटल बिहारी बाजपेई का निधन 16 अगस्त 2018 में हो गया था ।

वह एक हिंदी कविता था एक पत्रकार भी थे वह भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। अटल बिहारी वाजपेई का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक छोटे से गांव में हुआ था वे एक बहुत अच्छे नेता थे वे अपनी बातों को कविता के जरिए लोगों तक पहुंचाना पसंद करते थे।

अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी

अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी

अटल बिहारी बाजपेई एक बहुत ही साधारण इंसान थे और उनका जन्म बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी बाजपेई था और वह एक अध्यापक से और साथ ही वह एक महान कवि भी थे जिसके चलते अटल बिहारी बाजपेई को कविता में रुचि थी।

अटल अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने दोस्त राजकुमारी कौल और बी.एन. कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया था। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।

अटल बिहारी बाजपेई की शिक्षा

अटल बिहारी बाजपेई की शुरुआती शिक्षा ग्वालियर के एक विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी अटल बिहारी बाजपेई ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया था अटल बिहारी वाजपेई छात्र जीवन में राष्ट्रीय संघ सेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे तीन बार भारत में प्रधानमंत्री बने रहें। वे पढ़ाई में शुरुआत से ही काफी अच्छे थे हर चीज में वह अपनी रुचि दिखाते थे।

अटल बिहारी वाजपेई का राजनीतिक जीवन-

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत 1942 में उस समय की थी जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए।अटल बिहारी बाजपेई

जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे वह बहुत ही महान थे वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे सन 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा परंतु सफलता नहीं मिली लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
अटल बिहारी बाजपेई की भूमिका श्याम प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं के साथ रही अटल बिहारी बाजपेई 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रहे।

(Atal Bihari Vajpayee Political Career)

1957 में अटल बिहारी बाजपेई को जंक्शन में उत्तर प्रदेश के लखनऊ मथुरा और बलरामपुर से लड़ाया लेकिन वह लखनऊ और मथुरा से चुनाव हार गए और बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे अटल बिहारी बाजपेई मोरारजी देसाई की सरकार में सन 1977 में 1979 तक विदेशी मंत्री रहे और विदेशी में भारत की छवि बनाए लेकिन 1980 में अटल बिहारी वाजपेई ने जनता पार्टी में नाखुश होकर भारतीय जनता पार्टी भाजपा की स्थापना की अटल बिहारी वाजपेई 6 अप्रैल 1980 को भाजपा के अध्यक्ष बने।

अटल बिहारी वाजपेई दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए अटल बिहारी बाजपेई ने 16 मई से 1 जून तक 1996 को प्रधानमंत्री के रूप में देश को संभाला।

19 अप्रैल 1949 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने 5 वर्षों में देश के अंदर बहोत ही तेजी से प्रगति की।

सन 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में संपन्न कराए गए लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने वाजपेई के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय का नारा दिया इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस में भारत की केंद्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई संपत्ति वे राजनीति में सन्यास ले चुके थे।


आपको बता दें कि अटल बिहारी बाजपेई एक ऐसे इकलौते नेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर गुजरात के गांधीनगर मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीता था।

अटल बिहारी वाजपेयी की प्रमुख रचनाएं

  • मृत्यु या हत्या
  • रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
  • कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
  • संसद में तीन दशक
  • अमर आग है
  • राजनीति की रपटीली राहें
  • बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
  • मेरी इक्यावन कविताएँ
  • अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
  • कुछ लेख: कुछ भाषण
  • सेक्युलर वाद

पुरस्कार

  • 1992 : पद्म विभूषण
  • 1993 : डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
  • 1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार
  • 1994 : श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
  • 1914 : भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
  • 2015 : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
  • 2015 : ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
  • 2015 : भारतरत्न से सम्मानित

अटल बिहारी वाजपेयी की कविता

पंद्रह अगस्त का दिन कहता:
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है,
रावी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर
आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥

हिंदू के नाते उनका दु:ख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को
हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है
ग़मगीन गुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आज़ादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

last Word:

तो दोस्तों यह थी अटल बिहारी बाजपाई की जीवन कहानी मुझे उम्मीद है आपको यह Atal Bihari vajpayee Biography In Hindi पोस्ट बहुत पसंद आये है।

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